Saturday, November 10, 2012

SUBH DIWALI

दिवाली का पर्व है , बड़ा ही पवित्र

दीपों क रूप में शोभित होता है, प्रभु राम चरित्र

अन्धकार  रुपी बुराइयों का हो जाए विनाश

दीपों के  प्रकाश से जगमग हो जाए आकाश

इसी कामना से दिवाली  हो जाती है ख़ास

रावण का वध कर  प्रभु  राम ने किया   बुराई का अंत

आगमन हुआ अयोध्या  लखन जानकी संग लिए हनुमंत

प्रभु राम के  स्वागत में उस दिन अयोध्या दीपों से जगमगाई  थी

चहु ओर समस्त लोगों ने दिवाली मनाई थी

तभी से  लोगों ने दिवाली परंपरा अपनाई थी

छोटे बड़े   बाल युवा वृद्ध सभी हर्ष उल्लाश मानते हैं

 लक्ष्मी गणेश  की पूजा कर मिस्ठान्न प्रसाद चढाते हैं

चकरी टिकिया अनार बम  रंग बिरंगी फूल झड़ियाँ

ऊन बम .लक्ष्मी बम और बमों की लड़ियाँ

सभी   फोड़ फोड़ कर अपनी  खुशियाँ दर्शाते हैं

 पर ये सब खुशियों के भावेश में ध्वनी-वायु प्रदूषण को अधिकाधिक फैलाते हैं

ये तो खुशियों का पर्व है हर्षोल्लास  से रहना है।

इस दिन तो  हमें करने चाहिए सुभ काम

आनंद की इस बेला में कोलाहल का क्या काम

दिवाली के  दीपों से प्रकाशित हो हमारा जीवन

तभी दिवाली का महत्व होगा पूर्ण प्रतिपादन

अच्छाईयों का हो विकास ...बुराइयों का हो विनाश

हर दिवाली पर हो हमेशा अडिग यही प्रयास

शांति युक्त प्रसन्नचित्त दीपोत्सव मनाएं

इस पावन पर्व दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ .................

                                               ............CHANDRAKANT DWIVEDI.



 

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